Friday 5 January 2018

किसे अपना माने

अनजान रिश्ते परिवार से अधिक हो जाते हैं यह मैं एक मृत्यु और एक बीमारी मैं देख रही हूँ एक शिक्षिका  का चार लोगों का परिवार है उसमें से पुत्री की शादी दुसरे शहर मैं हो गई है पुत्र  ने नया नया काम शुरू किया है पति काफी दिन से बीमार था इसलिए वह   घर पर रहता था एक  रात  ता पुत्र रात की गाड़ी से व्यापर के सिलसिले मैं दूसर शर गया दोसौ  किलोमीटर दूर पुत्री अपने ससुराल थीपति की तबियत कुछ ख़राब हुई पर ऐसी होती रहती थी  पत्नी प्रातः देख कर कि ठीक है स्कूल चली गई कुछ देर बाद काम वाली बाई आजाती थी जो करीब चार घंटे रहती थी कुछ देर मैं पत्नी ाही जाती थी काम वाली बाई आयी उसने देखा पति की ठण्ड लग रही है उसने उन्हें रजाई ओढ़ा दी हीटर पहले ही से चल रहा था पति ने कामवाली बाई को कुछ निर्देश दिए वह काम करने लगी बीच मैं उसने देखा की कुछ ज्यादा तबियत बिगड़ रही है वह पास के  बुला ले वे  पत्नी आये और तुरंत उन्हे हॉस्पिटल ले गए पत्नी को खबर दी तबतक उनका उपचार प्रारम्भ हो चूका था यद्यपि उनका प्रयत्न सफल नहीं रहा परउसके साथ ही दुसरे फ्लैट वालों ने उसके घर की व्यवस्था संभाली  उसके पश्चात् भी सब व्यवस्थाएं करते रहे जैसे परिवार के ही हों जबकि उसकी सगी जेठानी जेठ केवल अंतिम यात्रा के  समय ए और  विमान जाने के बाद ही अपने घर चले गए सद्य युवा विधवा को आस पास के फ्लैटों के लोगो ने सभाला दिन रात कोई न कोई उसके पास रहता खाने पीने का सब प्रबंध  करता रहा  अब किसे अपना माने शिक्षिका के माँ के घर मैं कोई नहीं है वह इकलौती पुत्री है  माँ बाप की मृत्यु हो चुकी है खून के रिश्ते खूनी हो गए हैं ऐसे ही एक   बीमार हुए उनके परिवार मैं भी बहुत लोग नहीं थे तो पूरी पूरी जिम्मेदारी फ्लैट के  निभाई  कैसे अनजान ृष्टव अपने हो जाते हैं और अपने अनजाने  हैं 

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