Thursday 18 January 2018

अन्दर शैतान है

हमारा मन हमेशा इंतजार मैं रहता है किसी न किसी अनहोनी के लिए  कोई मोटर साइकिल लहराती निकली हम कहेंगे  मरेगा साला मोटर साइकिल पर बैठ कर अपने को हीरो समझता है , तेज स्पीड मैं कार  भाग रही है  दूर तक देखते रहेंगे ,घर से लगता है फालतू है अब बैलंस खोया अब डिवाइडर पर चढ़ा ,ट्रक दोड रहा है पास से निकलने मैं दर लगेगा अभी पलटेगा ऊपर  तक भरा है जरूर पलटेगा।  निगाहें देखती हैं कि उनके सामने कोई दुर्घटना हो जाये वे उसके चश्मदीद गवाह बन जाएँ एक उत्तेजना थोड़ी देर के लिये सनसनी मैं जीने लगते हैं तो निराशा ही होती है कुछ नहीं हुआ जिन्दगी मैं कुछ मजा ही नहीं आरहा है  अब कुछ होना चाहिए चलो दंगा ही करदें। उन्माद ही तो है जब जगह जगह जरा जरा सी बात पर झगडे फसाद दंगा आगजनी लूटपाट बलात्कार ये अन्दर की अतृप्त इच्छाएं ही हैं जो किसी भी अनहोनी के लिए घूमती रहती हैं  अन्दर हरेक के शैतान तो रहता ही है 

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