Thursday 17 September 2015

nari sashaktikaran

 नारी सशक्तीकरण

नारी सशक्तीकरण के रूप में महिलाओं ने ऐसा वातावरण तैयार किया है जो स्वयं उन्हें कंदराओं में धकेल रहा है । वह खुली हवा में सांस लेने के लिये उड़ी लेकिन उड़ान में वह आंधी से बंजर जमीन की ओर गिर रही है । एक ऐसे तर्क के साथ कि वह कुछ भी करने के लिये स्वतंत्र है ,लेकिन स्वयं के लिये तोड़ी दीर्घा में यदि वह देखे तो स्वयं उसके अपनी कोई परिभाषा नही हैं। उसने अपने चारों ओर अनेकों वलय खड़े कर लिये है और उन्हें वह एक एक कर न तोड़ कर एकदम से आक्रामक ढंग से तोड़ने को आतुर है जिसमें अच्छे बुरे को सुख दुःख को एक किनारे कर बस बाहर आना है वह अपने आपको स्त्री नहीं कहना चाहती है।
   लेकिन क्या वह अपने को पुरुष समकक्ष कह कर हर उस बात से इंकार कर सकती है जिसमें प्रतिब.ध्द
हैं। क्यों महिलाएं अपने आपके लिय आरक्षण मांग रही है ? क्या महिला होने के नाम पर ? क्यों नहीं पुरुषों के साथ खड़ी होकर उसी पंिक्त में आगे बढ़ना चाहती ? क्यों अपने लिये एक नई पंक्ति चाहती है जहां उन्हें प्राथमिकता मिले क्योंकि वे स्त्री हैं 

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