Wednesday 1 May 2013

juta

भारत  का राष्ट्रीय  व्यंजन क्या है यदि यह प्रश्न किया जाये  तो इसका उत्तर  आएगा आलू का पराठा .अरे चौकिये  मत यदि किसी भी प्रकार के खाने का प्रलोभन   दिया जाता  है  तो यही कहा जाता  है 'आओ आओ  गरम गरम  आलू के  परांठे  बनाए हैं और आने वाला खानेवाला  प्रलोभन छोड़ नहीं पाता .कोई फिल्म देखिये कोई सीरियल यदि खाने का  प्रसंग होगा तो होगा वाह आलू  का परांठा मजा आगया .अब अगर कृष्णलीला  लिखी जाएगी तो कृष्ण गोपियों के  घर जाकर आलू का परांठा चुरायेंगे 'नइ  रामायण मैं शबरी  वन मैं जब गरम करारे आलू के परांठे खिलाएगी तो राम की  आँखों  मैं उसकी निष्ठा के  प्रति स्नेह का दरिया स्वत: बहने लगेगा .बीबी को मिया को रिझाना है रिझाने  से मतलब  कोई काम निकलवाना है वह कहेगी आज आलू के परांठे बनाए है  जैसे दुनिया  का सबसे लजीज  व्यंजन बनाया हो .वाह मजा  आ  गया और उसकी लार टपक जाती है मियां का पेट भरा है तो जहन्नुम  मैं भी ले चलो .पर ये ही परांठे  दुसरे रूप मैं भी प्रचलित हैं है अगर गरम गर्म  तपा  तपा  कर किसी को लगाने  है तो वह है  जूता  जो आजकल सभाऑं  मैं खूब चलते हैं  और खाए भी खूब जाते हैं चुराए भी जाते हैं  कुछ का तो खर्च  भी इसी से चलता है ये मंदिर के आगे  या उठावनियों  मैं मुर्दानियों  मैं गयब हुआ जूतों के मालिकों से पूछो .
वैसे बहुत समय से जूतों की राजनीति चली आरही है  तभी तो भरतजी रामजी की चरण पादुका ले आये . जूता सिंघासन पर ,तब ही से जुटे की राजनीति  चली आरही है .मानेगा बात कैसे नहीं मानेगा जुटे के दम पर मानेगा .तेरी बात तो जुटे की नोक पर है फिर दस नम्बरी हो तो बात ही क्या है  किसी ने सच ही कहा है
बूट दसों ने बनाया ]मैंने एक मजमून लिखा
मुल्क मैं मजमून  न फैला ,और जूता चल गया
अब लो मुशर्रफ तो रिकॉर्ड बनाने जा रहे है  जूते  खाने का .आधुनिक काल मैं  यह अमेरिका के राष्ट्र पति  से प्रारंभ मन जायेगा  और विश्व के सर्वशक्तिमान पर जूता फेंकने की हिम्मत  की उसके सहस का  सम्मान करते हुए उसे विश्व वीरता पदक प्रदान किया जाना चाहिए  जूता खाने से ज्यादा  जूता चलाना मुश्किल है .जूता चप्पल टमाटर अंडे  छुटभैये  नेता  गायक  सबसे ज्यादा  कवि  अपने प्रदर्शन से बटोरते रहे हैं पर पहला जूता फैकने  का असली श्रेय उसी पत्रकार को जाता है उसके बाद तो जूता  फेंकना प्रचलन मैं आ गया  , अब जूता फेंकना  वीरता नहीं प्रचार प्रसार का  माध्यम बन गया है जिस नेता को भाव मिलाना बंद हो जाये  जूता फिकवा दो एकदम मीडिया द्वारा प्रसिद्ध हो जायेगा  यह भी एक नीति है चाणक्य  नीति .

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